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10वीं की छात्रा बनी मां, अस्पताल में दिया बच्चे को जन्म -

10वीं की छात्रा बनी मां, अस्पताल में दिया बच्चे को जन्म

नाबालिग होने की पुष्टि पर अस्पताल प्रशासन ने दी पुलिस को सूचना, पॉक्सो एक्ट के तहत अज्ञात के खिलाफ़ मुक़दमा दर्ज़, परिवार और प्रशासन में मचा हड़कंप।

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नैनीताल -: उत्तराखंड के नैनीताल जिले से एक चौंकाने वाली और दर्दनाक घटना सामने आई है। एक 16 वर्षीय किशोरी, जो 10वीं कक्षा की छात्रा है, ने सरकारी अस्पताल में एक बच्चे को जन्म दिया। मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग और पुलिस प्रशासन में हड़कंप मच गया। किशोरी के नाबालिग होने के चलते पुलिस ने पॉक्सो (POCSO) एक्ट के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

परिवार और अस्पताल प्रशासन ने छुपाई जानकारी

जानकारी के अनुसार, किशोरी को प्रसव पीड़ा के चलते परिजन उसे सरकारी अस्पताल ले गए। जब अस्पताल के डॉक्टरों को शक हुआ कि लड़की नाबालिग है, तो उन्होंने आधार कार्ड की मांग की। आधार कार्ड से पुष्टि हुई कि लड़की की उम्र केवल 16 साल है। इसके बाद अस्पताल प्रशासन ने तुरंत पुलिस को सूचना दी।

गर्भवती होने की जानकारी से अनजान थी किशोरी

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बताया जा रहा है कि किशोरी को खुद भी अपनी गर्भावस्था के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी। परिजनों ने भी इस विषय पर चुप्पी साध रखी थी, जिससे लगता है कि वे भी इस घटना को छुपाने की कोशिश में थे। लड़की के मां-बाप में से पिता लापता बताए जा रहे हैं, जबकि मां घरेलू कामकाज करती हैं।

पॉक्सो एक्ट में अज्ञात के खिलाफ़ मुक़दमा दर्ज़ 

कोतवाली पुलिस ने किशोरी की उम्र के मद्देनज़र अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ पॉक्सो एक्ट की धाराओं में मामला दर्ज कर लिया है। अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि किशोरी के साथ किसने यह कृत्य किया। पुलिस का कहना है कि लड़की के ठीक होने के बाद उसका बयान लिया जाएगा, जिससे आरोपी की पहचान की जा सके।

बाल संरक्षण आयोग की निगरानी में मामला

उत्तराखंड राज्य बाल संरक्षण आयोग ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया है और जिला प्रशासन से रिपोर्ट मांगी है। वहीं महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम भी अस्पताल पहुंची और किशोरी की काउंसलिंग शुरू की गई है।

समाज के लिए बड़ा सवाल

इस घटना ने एक बार फिर हमारे समाज और व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। नाबालिग लड़कियों के यौन शोषण और उसके बाद उत्पन्न सामाजिक, मानसिक एवं स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को लेकर यह एक ज्वलंत उदाहरण बन गया है।

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प्रशासन, समाज और अभिभावकों की भूमिका पर भी गहन विचार करने की आवश्यकता है।

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