अब तक 190 से अधिक लोगों का रेस्क्यू, कई अब भी मलबे में दबे होने की आशंका, 500 तीर्थ यात्रियों से टूटा संपर्क।
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उत्तरकाशी -: धराली गांव इस समय प्राकृतिक कहर का सबसे भयावह चेहरा बन गया है। खीरगंगा नदी के ऊपरी क्षेत्र में बादल फटने से आई बाढ़ ने पूरे धराली क्षेत्र को तबाह कर दिया। कभी शांति और सुंदरता के लिए प्रसिद्ध यह गांव अब सिर्फ मलबे, टूटे घरों और भयावह यादों का प्रतीक बनकर रह गया है।
इस आपदा में चार लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि दो शव बुधवार को मलबे से निकाले गए। राहत एवं बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी है और अब तक 190 से अधिक लोगों को सुरक्षित रेस्क्यू किया जा चुका है। लेकिन अभी भी कई लोगों के कीचड़ व मलबे में दबे होने की आशंका है, जिससे रेस्क्यू ऑपरेशन और तेज़ कर दिया गया है।
महाराष्ट्र से आए पर्यटक लापता, परिवारों की सांसें अटकीं
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धराली और गंगोत्री क्षेत्र में बड़ी संख्या में महाराष्ट्र से आए पर्यटक और श्रद्धालु फंसे हुए हैं। इनमें पुणे, सोलापुर, नांदेड़ और अंबेगांव तालुका के लोग शामिल हैं। जानकारी के मुताबिक, अंबेगांव के अवसारी खुर्द से 1 अगस्त को 1990 बैच के 19 लोगों का समूह (8 पुरुष, 11 महिलाएं) उत्तराखंड यात्रा पर निकला था। अंतिम संपर्क उत्तरकाशी के गंगोत्री क्षेत्र से हुआ था। कुछ ने मंगलवार सुबह तक सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी स्थिति साझा की थी, लेकिन दोपहर बाद से संपर्क पूरी तरह टूट गया है।
गुरुवार सुबह एक महिला ने अपने बेटे को फोन कर सुरक्षित होने की जानकारी दी थी, लेकिन उसके बाद पूरे समूह से कोई संपर्क नहीं हो पाया। परिजन और रिश्तेदार गहरे तनाव में हैं। स्थानीय प्रशासन और पुलिस संपर्क साधने और राहत पहुंचाने में जुटी है।
सोलापुर और नांदेड़ के पर्यटकों की स्थिति
सोलापुर के विट्ठल पुजारी, समर्थ दुसेरे, धनराज बागले और मल्हारी धोटे नामक चार युवक गंगोत्री में फंसे हुए थे। उन्होंने मंगलवार को अपने परिवार वालों को सुरक्षित होने की जानकारी दी थी, लेकिन तब से उनका मोबाइल नेटवर्क बंद है।
वहीं, नांदेड़ जिले के 11 पर्यटक उत्तरकाशी के खराड़ी गांव में सुरक्षित बताए गए हैं। जिला प्रशासन उनके निरंतर संपर्क में है। कुछ अन्य बिछड़े पर्यटक भी बुधवार देर शाम तक वापस लौट आए।
500 तीर्थ यात्रियों से टूटा संपर्क, तीसरे दिन भी जारी है रेस्क्यू अभियान
उत्तरकाशी आपदा कंट्रोल रूम के अनुसार, करीब 500 तीर्थ यात्रियों से संपर्क नहीं हो पा रहा है। इनमें से 64 यात्री कर्नाटक से और 24 यात्री महाराष्ट्र से बताए जा रहे हैं। यह सभी गंगोत्री धाम की यात्रा पर थे। मोबाइल नेटवर्क ध्वस्त होने और रास्ते बंद हो जाने से जानकारी नहीं मिल पा रही है। तीसरे दिन भी आईटीबीपी, एसडीआरएफ और सेना की टीमें राहत और खोजबीन में लगी हैं।
धराली का हारदूधू मेला भी संकट में डूबा
धराली और मुखबा गांवों में हर वर्ष सावन के महीने में समेश्वर देवता के नाम पर आयोजित होने वाला दो दिवसीय हारदूधू मेला इस बार तबाही की भेंट चढ़ गया। सोमवार शाम को मेले का शुभारंभ हुआ था और मंगलवार को इसके भव्य आयोजन की तैयारियां चल रही थीं। लेकिन दोपहर से पहले ही कुदरत ने अपना रौद्र रूप दिखा दिया।
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हर साल ग्रामीण ब्रह्मकमल और अन्य पवित्र फूलों को लाकर देवता को अर्पित करते हैं और दूध-दही आदि से पूजा करते हैं। लेकिन इस बार बाढ़ ने न केवल धार्मिक आयोजन को रोका, बल्कि गांव की आत्मा को भी झकझोर दिया।
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