हेलीकॉप्टर से राहत सामग्री की आपूर्ति, मलबा हटाने में जुटी टीमें; हरसिल की झील का ख़तरा कम करने के प्रयास तेज़।
उत्तरकाशी -: धराली गांव में 5 अगस्त को आई भीषण आपदा के बाद राहत और बचाव कार्य लगातार जारी है। बुधवार को भी एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आईटीबीपी और सेना की टीमें मलबा हटाने और लापता लोगों की तलाश में जुटी रहीं। मौसम में सुधार होने पर सुबह 11 बजे से हेलीकॉप्टर संचालन फिर शुरू हुआ, जिसके जरिए प्रभावित क्षेत्रों तक राहत सामग्री पहुंचाई गई।
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प्रशासन ने राहत कार्य में तेजी लाने के लिए दो चिनूक, एक एमआई और एक एएलएच हेलीकॉप्टर तैनात किए हैं। इसके अलावा, मौके पर मौजूद टीमों ने संचार व्यवस्था बहाल कर प्रभावित क्षेत्रों में वाई-फाई सुविधा उपलब्ध कराई है, ताकि संपर्क सुचारू रहे।
फिलहाल, 6 घायलों का इलाज उत्तरकाशी जिला अस्पताल में, 2 का देहरादून एमएच और एआईआईएमएस ऋषिकेश में, जबकि 11 का आईटीबीपी कॉम्पोजिट अस्पताल में चल रहा है।
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भारी मलबे ने धराली के बड़े हिस्से को 15 फीट तक ढक दिया है, जिसे हटाने का कार्य जारी है। वहीं, हरसिल क्षेत्र में बनी 10–15 फीट गहरी झील के पानी का बहाव बढ़ाकर खतरे को कम करने का प्रयास किया जा रहा है।
आपदा के कारणों की जांच के लिए पांच सदस्यीय विशेषज्ञ दल मौके पर पहुंच चुका है, जिसमें उत्तराखंड भूस्खलन शमन एवं प्रबंधन केंद्र, सीबीआरआई रुड़की, भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग और वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के विशेषज्ञ शामिल हैं।
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यह दल मलबे के नमूने एकत्र कर आपदा की वजह और भूगर्भीय स्थितियों का अध्ययन करेगा।
राज्य सरकार ने पुनर्वास की योजना पर भी काम शुरू कर दिया है। उच्चस्तरीय समिति ने मौके का निरीक्षण कर जांगला, लंका और कोपांग जैसे संवेदनशील क्षेत्रों से परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर बसाने और धराली के पुनर्निर्माण को केदारनाथ मॉडल पर करने का सुझाव दिया है। साथ ही, फसल और बागानों के नुकसान का आकलन भी शुरू हो गया है।
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मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों में उत्तरकाशी और आसपास के क्षेत्रों में भारी बारिश की संभावना जताई है, जिससे राहत-बचाव कार्य में चुनौतियां बनी रह सकती हैं।