मानसून में नई चुनौतियों की आशंका, हरसिल झील व पुल की स्थिति पर मंगाई रिपोर्ट, आपदा से गंगोत्री में 50 करोड़ का नुक़सान।
उत्तरकाशी —: जिले के धराली क्षेत्र में 5 अगस्त को आई विनाशकारी बाढ़ और भूस्खलन के बाद राहत व बचाव कार्य जारी हैं। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि.) ने आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिकों और आपदा प्रबंधन अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आपदा समीक्षा बैठक की।
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उन्होंने राहत एवं पुनर्वास कार्यों में जुटी टीमों के साहस और सामूहिक प्रयासों की सराहना की तथा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया।
राज्यपाल ने कहा कि मानसून का दौर अभी जारी है, ऐसे में आगे भी चुनौतियां आ सकती हैं। उन्होंने सभी एजेंसियों को 24 घंटे अलर्ट मोड में रहने के निर्देश दिए। साथ ही उन्होंने राहत और पुनर्वास कार्यों का विस्तृत दस्तावेज तैयार करने पर जोर दिया, ताकि भविष्य में किसी भी आपदा की स्थिति में उससे सीख लेकर त्वरित और प्रभावी कार्रवाई की जा सके।
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समीक्षा के दौरान उन्होंने हरसिल के पास बनी बाढ़जनित झील और धराली–मुखबा पुल की स्थिति के बारे में जानकारी ली। आईआईटी रुड़की के विशेषज्ञों ने बताया कि झील की निकासी और पुल की सुरक्षा को लेकर सर्वेक्षण जारी है, जिसकी रिपोर्ट जल्द सरकार को सौंपी जाएगी।
गौरतलब है कि इस आपदा में अब तक पांच लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि 43 लोग अभी भी लापता हैं। बाढ़ और भूस्खलन से क्षेत्र का बुनियादी ढांचा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुआ है।
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हरसिल के पास बनी अस्थायी झील स्थानीय लोगों के लिए नई चिंता बन गई है, जबकि मौसम विभाग ने उत्तरकाशी और आसपास के इलाकों में भारी से अति भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी किया है।
इस आपदा का आर्थिक असर भी गहरा है—गंगोत्री के व्यापारियों को लगभग 50 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है, करीब 300 दुकानें बंद हैं और पर्यटन पूरी तरह ठप है।
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राज्यपाल ने कहा कि सभी विभाग और एजेंसियां आपसी समन्वय और तत्परता के साथ काम करें, ताकि किसी भी नई परिस्थिति में त्वरित राहत और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।