नैनीताल ज़िला पंचायत चुनाव पर हाईकोर्ट की सुनवाई।
नैनीताल —: ज़िला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुनाव को लेकर जारी विवाद अब हाईकोर्ट की चौखट तक पहुँच गया है। बुधवार 20 अगस्त को नैनीताल हाईकोर्ट में पुनर्मतदान (Re-Poll) की मांग पर अहम सुनवाई हुई। इस दौरान ज़िलाधिकारी (DM) ने शपथपत्र दाख़िल कर मतगणना प्रक्रिया की पूरी जानकारी न्यायालय को सौंपी।
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हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जी. नरेंदर और जस्टिस सुभाष उपाध्याय की बेंच ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले की सुनवाई की। अदालत ने पहले ही 14 अगस्त को हुई वोटिंग के दौरान हिंसा, अपहरण और फायरिंग की घटनाओं पर कड़ा रुख अपनाते हुए पुनर्मतदान के आदेश दिए थे।
चुनाव में गड़बड़ी और हिंसा का आरोप
14 अगस्त को ज़िला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए हुए मतदान के दौरान कांग्रेस समर्थित पाँच सदस्य रहस्यमय परिस्थितियों में लापता हो गए थे। वहीं, मतदान केंद्र के बाहर हथियारबंद लोगों की मौजूदगी और फायरिंग की घटनाओं ने पूरे चुनावी माहौल को दूषित कर दिया। इस पर अदालत ने डीएम और एसएसपी से विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी।
SSP पर अदालत की सख़्ती
18 अगस्त को हुई पिछली सुनवाई में अदालत ने नैनीताल एसएसपी पी.एन. मीणा को कड़ी फटकार लगाई थी और उनके कार्यों को “कानून व्यवस्था बनाए रखने में नाकामी” करार दिया था। अदालत ने यहां तक कह दिया कि उन्हें तत्काल प्रभाव से हटाया जाना चाहिए।
‘कट्टा कल्चर’ पर चिंता
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19 अगस्त को अदालत ने चुनावों में अवैध हथियारों के इस्तेमाल पर चिंता जताई और इसे “गन कल्चर” की संज्ञा दी। कोर्ट ने इस पर सख़्त रुख अपनाते हुए कहा कि प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (DGP) और गृह सचिव को मामले में दखल देना होगा।
राजनीतिक हलचल
इस पूरे विवाद का असर विधानसभा के मानसून सत्र पर भी देखने को मिला। कांग्रेस विधायकों ने सदन में हंगामा करते हुए नैनीताल के डीएम और एसएसपी को निलंबित करने की मांग की। विपक्ष का आरोप है कि सरकार चुनाव में निष्पक्षता बरतने में नाकाम रही है।
आगे क्या?
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आज दाख़िल हुई शपथपत्र रिपोर्ट के आधार पर अदालत आगे के फैसले पर विचार करेगी। यह देखना अहम होगा कि पुनर्मतदान को लेकर अदालत क्या अंतिम आदेश देती है और चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए क्या सख़्त कदम उठाए जाते हैं।