धराली गांव में बादल फटने से मची तबाही, 5 की मौत और 50 से अधिक लोग लापता, राहत व बचाव कार्य युद्धस्तर पर ज़ारी।
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उत्तरकाशी -: धराली गांव में 5 अगस्त को आई भीषण आपदा ने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया। खीरगंगा के ऊपरी क्षेत्र में बादल फटने से आए फ्लैश फ्लड ने पलभर में गांव को मलबे और पानी में समा दिया। इस हादसे में अब तक कम से कम 5 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 50 से अधिक लोग लापता बताए जा रहे हैं।
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आपदा के बाद से ही राहत और बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी है। सेना, NDRF, SDRF, ITBP और अन्य एजेंसियों की टीमें मलबे में फंसे लोगों को खोजने में जुटी हैं। 1,000 से अधिक रेस्क्यू कर्मी, डॉग स्क्वॉड और अत्याधुनिक मशीनरी लगातार प्रयास कर रही हैं, लेकिन मलबे और टूटी सड़कों के कारण राहत कार्य में कठिनाई आ रही है।
राज्य सरकार ने आपदा राहत कार्यों के लिए राज्य आपदा मोचक निधि (SDRF) से 20 करोड़ रुपये जारी किए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घटना की जानकारी मिलते ही अपना पूर्व निर्धारित दौरा रद्द कर पहले देहरादून से मॉनिटरिंग की और फिर सीधे उत्तरकाशी पहुंचकर आपदा क्षेत्र का स्थलीय निरीक्षण किया। उन्होंने धराली में ही कैबिनेट बैठक आयोजित कर राहत कार्यों की प्रगति का जायजा लिया।
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सीएम धामी ने ऐलान किया कि इस आपदा में मृतकों के परिजनों को और जिनके घर पूरी तरह बह गए या क्षतिग्रस्त हो गए हैं, उन्हें तात्कालिक रूप से 5-5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी। साथ ही उन्होंने प्रभावित परिवारों के पुनर्वास के लिए ठोस कदम उठाने का आश्वासन दिया।
सरकार ने राजस्व सचिव की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित की है, जो एक सप्ताह में पुनर्वास और आजीविका बहाली की प्रारंभिक रिपोर्ट सौंपेगी।
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धराली के लोग अब भी सदमे में हैं। घर, दुकानें, खेत—सब कुछ बह गया है। राहत कैंपों में सैकड़ों लोग अस्थायी रूप से शरण लिए हुए हैं। कई गांवों का सड़क संपर्क टूटा हुआ है और सेना द्वारा हवाई मार्ग से भी आवश्यक सामान पहुंचाया जा रहा है।
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सरकार और प्रशासन का दावा है कि कोई भी पीड़ित सहायता से वंचित नहीं रहेगा, लेकिन धराली के बचे हुए लोग अब सिर्फ एक ही उम्मीद लगाए बैठे हैं—कि उनकी ज़िंदगी फिर से पटरी पर लौट आए।