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धराली आपदा: सड़क बंद, गांव अलग-थलग, बचाव दलों की जंग जारी -

धराली आपदा: सड़क बंद, गांव अलग-थलग, बचाव दलों की जंग जारी

खीर गंगा की तबाही में कई लोग लापता, गंगोत्री मार्ग अवरुद्ध, करोड़ों का नुकसान, हेलीकॉप्टर से चल रहा बचाव अभियान।

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उत्तरकाशी -: 5 अगस्त को खीर गंगा में आई भीषण आपदा के सात दिन बाद भी धराली क्षेत्र में हालात सामान्य नहीं हो पाए हैं। डबरानी से गंगोत्री हाईवे का बड़ा हिस्सा बह जाने से सड़क मार्ग अब भी पूरी तरह बंद है, जिसके चलते धराली तक पहुंचने के लिए करीब 30 किलोमीटर पैदल सफर ही एकमात्र विकल्प बचा है। यह रास्ता बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों के लिए बेहद कठिन साबित हो रहा है।

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प्रशासन के अनुसार, आपदा में अब तक 68 लोग लापता हैं, जिनमें 25 नेपाली मूल के मजदूर भी शामिल हैं। सेना, एनडीआरएफ, आईटीबीपी, एसडीआरएफ और पुलिस की टीमें लगातार राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं। चिनूक, एमआई-17 और अन्य हेलीकॉप्टरों की मदद से 1,278 लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया जा चुका है, जिनमें सात गर्भवती महिलाएं भी शामिल हैं।

आपदा से क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को भी गहरा झटका लगा है। गंगोत्री धाम में मार्ग अवरुद्ध होने से करीब 300 दुकानें बंद पड़ी हैं, जिससे लगभग 50 करोड़ रुपये का व्यापार प्रभावित हुआ है। धराली के मशहूर सेब के बाग भी 30 फीट मलबे के नीचे दब गए हैं, जिससे 70-80 लाख रुपये का नुकसान हुआ है।

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इसी बीच, हर्षिल में भागीरथी नदी पर बनी 400-500 मीटर लंबी अस्थायी झील ने खतरा और बढ़ा दिया था, जिसे सुरक्षा बलों ने हस्तचालित तरीके से खाली किया। आपदा में क्षेत्र का प्राचीन काल्प केदार मंदिर भी बह गया, जो स्थानीय श्रद्धालुओं के लिए भावनात्मक आघात है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आपदा प्रभावित क्षेत्रों में प्राकृतिक जलस्रोतों के पास निर्माण पर तत्काल रोक लगाने के निर्देश दिए हैं और अधिकारियों-कर्मचारियों की जवाबदेही तय करने की बात कही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह आपदा 2013 की केदारनाथ त्रासदी जैसी भयावह घटना है, जिसके पीछे प्राकृतिक मार्ग का बदलना और अनियंत्रित निर्माण बड़े कारण हैं।

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धराली और आसपास के गांवों में लोग अब भी राहत शिविरों में ठहरे हुए हैं। हालांकि बचाव कार्य तेजी से जारी है, लेकिन सड़क मार्ग बहाल होने में अभी समय लगने की संभावना है।

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