कुपड़ा खड्ड में मलबा आने से यमुना नदी का प्रवाह रुका, 300 से अधिक लोग सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट, ग्रामीणों ने स्थायी समाधान की उठाई मांग।
उत्तरकाशी —: धराली त्रासदी के बाद अब स्यानाचट्टी क्षेत्र भी आपदा की चपेट में आ गया है। कुपड़ा खड्ड में भारी मलबा और बोल्डर आने से यमुना नदी का प्रवाह अवरुद्ध हो गया और वहां अचानक एक झील का निर्माण हो गया। झील का जलस्तर लगातार बढ़ने से स्यानाचट्टी कस्बे के कई घर और होटल डूब गए हैं।
लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया गया
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प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई करते हुए स्यानाचट्टी, कुठनौर और खराड़ी के सभी घरों और होटलों को खाली करवाया। करीब 300 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट कर दिया गया है। प्रभावित लोग फिलहाल अपने मूल गांवों — स्यालना, पुजारगांव, पाली और भंसाड़ी — में ठहरे हुए हैं।
लगातार बढ़ रहा जलस्तर, राहत कार्य में बाधा
दोपहर में मौसम साफ होने से झील का जलस्तर कुछ कम हुआ, लेकिन शाम होते-होते फिर से भारी मलबा आने के कारण पानी तेजी से बढ़ने लगा। यमुनोत्री हाईवे पर बना पुल भी झील की चपेट में आ गया है, उसका आधा हिस्सा डूब चुका है, जिससे बचाव दलों को आगे बढ़ने में परेशानी हो रही है।
मशीनें लगीं लेकिन चुनौती बड़ी
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सिंचाई विभाग की तीन पोकल्यान मशीनें नदी का प्रवाह सुधारने के लिए लगातार काम कर रही हैं, मगर ऊपर से भारी मलबा और पत्थरों की बारिश से राहत कार्य में रुकावट आ रही है।
स्थायी समाधान की मांग
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स्थानीय लोग — जयपाल सिंह रावत, बलदेव सिंह, चित्रमोहन राणा और नवदीप रावत — ने प्रशासन और सरकार से स्थायी समाधान की मांग उठाई है। ग्रामीणों का कहना है कि हर साल इस तरह की आपदा से जान-माल का भारी नुकसान होता है, इसलिए अब अस्थायी नहीं बल्कि दीर्घकालीन उपाय किए जाने चाहिए।
यह उत्तरकाशी जिले में इस मानसून की दूसरी बड़ी आपदा है। धराली आपदा के घाव अभी भरे भी नहीं थे कि स्यानाचट्टी में नई त्रासदी ने लोगों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।