मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य में बिना किसी पक्ष पात के भ्रष्टाचार पर कार्यवाही कर रही उत्तराखण्ड सरकार, भ्रष्ट अधिकारियों पर कस रही सरकार शिकंजा। उत्तराखण्ड सरकार भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ कड़े कदम उठा रही है, चाहे अधिकारी किसी भी डिपार्टमेंट से हो धामी सरकार बिना किसी पक्षपात के कार्यवाही कर रही है।
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चाहे सरकारी भर्ती में नक़ल कराने वाले अधिकारी हों या किसी अन्य विभाग से हो, अधिकारियों की आय से अधिक सम्पत्ति होने पर भी धामी सरकार कार्यवाही कर रही है एवं जहाँ पर भी कोई भ्रष्टाचार मिल रहा है अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया जा रहा है। भर्ती परीक्षा नक़ल में 57 माफियाओं एवं 24 पर गैंगस्टर एक्ट का मामला दर्ज़।
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राज्य सरकार पारदर्शिता और ज़बाबदेह शासन दिशा में ठोस क़दम उठा रही है, इससे से मुख्यमंत्री दिखाते हैं कि उनकी सरकार राज्य को भ्रष्टाचार मुक्त करना चाहती है और इसी दिशा में धामी सरकार कार्य कर रही है। धामी सरकार आए दिन भ्रष्ट अधिकारियों पर करारा प्रहार कर रही है, अब तक भष्टाचार पद के दुरुपयोग, आय से अधिक संपत्ति और वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों पर कार्रवाई की गई है इसमें हरिद्वार भूमि घोटाला प्रकरण भी जुड़ गया है।
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अब तक उत्तराखण्ड सरकार ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में आइएएस रामविलास यादव, पद का दुरुपयोग व आय से अधिक संपत्ति के मामले में आइएफएस किशन चंद, परीक्षा धांधली में पूर्व आइएफएस व यूकेएसएसएससी के चैयरमैन आरबीएस रावत, बागवानी में वित्तीय अनियमिताओं पर उद्यान निदेशक हरमिंदर सिंह बवेजा, भ्रष्टाचार संबंधी आदेशों की व वित्तीय नियमों की अनदेखी करने पर वित्त नियंत्रक अमित जैन, रिश्वत लेने के आरोप में उप महाप्रबंधक वित्त भूपेंद्र कुमार, भ्रष्टाचार की शिकायतों पर पीसीएस निधि यादव, रिश्वत लेते पकड़े जाने पर लेखपाल महिपाल सिंह, स्टांप शुल्क व भूमि पंजीकरण में अनियमितताओं पर उप निबंधक रामदत्त मिश्र के साथ ही राज्य कर विभाग के अधिकारियों पर भी लापरवाही व भ्रष्टाचार की शिकायतों पर कार्रवाई कर चुकी है। यहां तक की सरकार ने सेवानिवृत्त अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की है।