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भू धंसाव और आपदाओं से जूझ रहा उत्तराखण्ड -

भू धंसाव और आपदाओं से जूझ रहा उत्तराखण्ड

लगातार बारिश से 520 सड़कें बंद, लोग बेघर – आपदा प्रबंधन टीमें अलर्ट पर।

वह नारी जिसने पर्यावरण के लिए ना मात्र क़दम उठाया बल्कि एक आंदोलन को जन्म दिया, गौरा देवी वह नारी जिसने चिपको आंदोलन की शुरुआत की।

देहरादून —: उत्तराखंड में लगातार हो रही भारी बारिश ने आपदा जैसी स्थिति पैदा कर दी है। प्रदेश के कई पहाड़ी गांव धंस रहे हैं, जिसके चलते लोग रातों-रात अपने घर छोड़ने को मजबूर हो गए। वहीं, हाइवे पर बड़ी-बड़ी दरारें उभर आई हैं, जिससे आवागमन पूरी तरह बाधित हो गया है। ताजा जानकारी के अनुसार, राज्य में अब तक 520 से अधिक सड़कें बंद हो चुकी हैं।

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गांवों में खतरा बढ़ा, लोग बेघर

तेजी से धंस रहे पहाड़ी गांवों में कई परिवार सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाए गए हैं। लगातार जमीन खिसकने से मकान जमींदोज होने की कगार पर हैं। प्रभावित लोग सरकारी मदद और पुनर्वास की मांग कर रहे हैं।

भू धंसाव से मकानों में आ रही दरारें Hiwanlikanthi

हाइवे पर गहरी दरारें

भारी वर्षा से राष्ट्रीय और राज्य राजमार्ग भी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। कई हिस्सों में सड़कें टूटकर खाई में समा गईं, तो कहीं बड़े-बड़े गड्ढे और दरारें देखने को मिलीं। इससे यातायात बुरी तरह बाधित है और स्थानीय लोगों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

आपदा प्रबंधन टीम अलर्ट

प्रशासन ने आपदा प्रबंधन दल को अलर्ट पर रखा है। कई जगहों पर NDRF और SDRF की टीमें राहत व बचाव कार्यों में जुटी हुई हैं। वहीं, मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों तक भीषण बारिश और भूस्खलन की चेतावनी जारी की है।

शिक्षा और जनजीवन प्रभावित

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भारी बारिश के चलते न केवल यातायात और ग्रामीण बस्तियां प्रभावित हुई हैं, बल्कि स्कूलों की इमारतें भी जर्जर हो गई हैं। बच्चों की पढ़ाई बाधित है और अभिभावक उनके भविष्य को लेकर चिंतित हैं।

राहत कार्य तेज़ 

सड़कों को खोलने के लिए भारी मशीनरी एयरलिफ्ट कर प्रभावित क्षेत्रों में भेजी जा रही है। सरकार का दावा है कि राहत व पुनर्वास कार्य तेज कर दिए गए हैं, लेकिन ग्रामीण इलाकों में लोगों को अभी भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

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